Supreme Court दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगा। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों याचिकाएं न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गई हैं।
दोनों ने खटखटाया Supreme Court का दरवाजा
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 9 अप्रैल के फैसले को चुनौती देने के लिए Supreme Court का रुख किया है, जिसने अब खत्म हो चुकी दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी रिट याचिका खारिज कर दी थी। आम आदमी पार्टी नेता 21 मार्च को अपनी गिरफ्तारी के बाद से हिरासत में हैं। ईडी ने इस मामले में अपना जवाबी हलफनामा और अरविंद केजरीवाल ने अपना जवाब दाखिल किया है। और उन्होंने हलफनामा में लिखा की उनकी गिरफ्तारी अनुचित थी और ये बीजेपी की एक चाल थी।
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हेमंत सोरेन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने Supreme Court की पीठ को सूचित किया कि झारखंड उच्च न्यायालय ने फरवरी के आखिरी सप्ताह में सोरेन की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है, लेकिन अभी तक फैसला नहीं सुनाया गया है। उन्होंने मौजूदा लोकसभा चुनाव के आधार पर तत्काल सुनवाई की मांग की। उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि चुनाव खत्म हो जाएगा और वह जेल के अंदर ही रहेंगे
फरवरी में झारखंड हाई कोर्ट ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली हेमंत सोरेन की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सोरेन ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में दावा किया है कि उनकी गिरफ्तारी अनुचित थी और ये बीजेपी की एक चाल है और मामले में उनकी रिमांड मनमानी और अवैध थी।
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वकील प्रज्ञा बघेल के माध्यम से Supreme Court में याचिका दायर करने वाले हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध और दुर्भावनापूर्ण बताया है. इस बीच उन्होंने अंतरिम जमानत की मांग की है. मीडिया में लंबे समय तक अटकलों और लुका-छिपी के नाटक के बाद, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के अध्यक्ष हेमंत सोरेन को जनवरी में भूमि घोटाला मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था।
शनिवार को रांची की विशेष पीएमएलए कोर्ट ने हेमंत सोरेन को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया. पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने चाचा के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कोर्ट से 13 दिन की अंतरिम जमानत मांगी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया.
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